Posted by Rail Bureau on 2024-08-23 18:00:59 |
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भारतीय रेलवे 27 अगस्त, 2024 को इतिहास रचने जा रहा है। पहली बार, एक दोहरी ट्रैक्शन लोकोमोटिव WDAP5-71000 को 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने का परीक्षण किया जाएगा। यह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में अब तक का सबसे तेज़ दोहरी ट्रैक्शन परीक्षण होगा। इस ऐतिहासिक परीक्षण के दौरान, रेलवे के उच्च अधिकारी भी इंजन के केबिन में मौजूद रहेंगे, ताकि वे इंजन के प्रदर्शन की निगरानी कर सकें और इसकी दक्षता का मूल्यांकन कर सकें।
यह लोकोमोटिव तुगलकाबाद (TKD) से चंडीगढ़ (CDG) तक और फिर वापसी की यात्रा करेगा। इस सफर के दौरान नई दिल्ली और अंबाला कैंट जैसी महत्वपूर्ण स्टेशनों पर रुकते हुए, यह लोकोमोटिव भारतीय रेलवे के तकनीकी कौशल और विकास की नई ऊंचाइयों को दर्शाएगा।
इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य भारतीय रेलवे की तकनीकी उन्नति को परखना और उसकी सीमाओं का आकलन करना है। यह दोहरी ट्रैक्शन लोकोमोटिव बिजली और डीजल, दोनों ट्रैक्शन सिस्टम पर काम कर सकती है, जिससे इसे उन लंबी दूरी के मार्गों पर चलाया जा सकता है, जहां ट्रैक्शन सिस्टम बदलते रहते हैं। यह उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा, जहां ट्रैक्शन बदलने की आवश्यकता होती है, जैसे पहाड़ी इलाकों या सीमांत क्षेत्र।
130 किमी प्रति घंटे की उच्च रफ्तार पर इस लोकोमोटिव का संचालन भविष्य में भारतीय रेलवे के यात्री और मालगाड़ियों के लिए एक नई दिशा तय करेगा। इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि यह यात्री अनुभव को भी और अधिक आरामदायक बनाएगा। यह परीक्षण सफल होने पर, अन्य महत्वपूर्ण मार्गों पर भी इस त
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नीक का विस्तार किया जा सकता है, जिससे भारत के बड़े हिस्से में उच्च गति ट्रेन संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस दोहरी ट्रैक्शन लोकोमोटिव की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह ऊर्जा की खपत को कुशलता से प्रबंधित कर सकती है। जिन क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता सीमित है, वहां यह डीजल मोड में काम करेगी, जबकि जहां बिजली की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में है, वहां यह बिजली मोड में काम करेगी। इस प्रकार, यह लोकोमोटिव न केवल ऊर्जा की बचत करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
संचालन में लचीलापन इस लोकोमोटिव की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है। इसे उन मार्गों पर भी चलाया जा सकता है, जहां इंजन बदलने की आवश्यकता होती है, जिससे समय और लागत की बचत होती है। इसके साथ ही, आपातकालीन परिस्थितियों में भी यह लोकोमोटिव अधिक सक्षम साबित हो सकता है, जैसे कि बिजली की अस्थायी कमी के दौरान डीजल मोड में स्थानांतरित होकर यात्रा को जारी रखना।
यह ऐतिहासिक परीक्षण भारतीय रेलवे के भविष्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर यह परीक्षण सफल होता है, तो यह न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय रेलवे की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा। दोहरी ट्रैक्शन तकनीक भविष्य में भारतीय रेलवे के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगी, जिससे ट्रेनों की संचालन क्षमता, गति और दक्षता में सुधार होगा।
इस आयोजन का भारतीय रेलवे के इतिहास में विशेष स्थान होगा, जो तकनीकी प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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